कभी तुमने उस बच्चे की कहानी सुनी है जो अपने संगीत में इतना खोया रहता था की उसकी माँ भी उसके पास नहीं जाती थी. वो खुद भी विध्न नहीं डालती थी और किसी और को भी उसके कमरे में नहीं जाने देती थी. बस वो जब भी उसके पास जाती थी यही कहती थी “बेटा तुमसे अच्छा ना कोई है ना कोई होगा”…”बेटा .. तुम बहुत अच्छे संगीतकार हो”…”बेटा और म्हणत करो”…”बेटा मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ”..”बेटा मैं तुम्हारे साथ हूँ”. वो जानती है की उसका बेटा उसकी बातों पर ध्यान नहीं दे रहा है … लेकिन फिर भी वो उसके हुनर में विशवास रखती है और बिना किसी कारण के उसका उत्साह बढाती है. और जब संगीत की प्रक्टिस ख़तम हो जाती है, तो बच्चा भागता हुआ अपनी माँ की पास आ जाता है और कहता है “माँ .. तुम दुनिया की सबसे अच्छी माँ हो”…”माँ..मैं भी आपको बहुत बहुत प्यार करता हूँ “. कोई भी माँ अपने बच्चे को यह नहीं कहती की “बेटा मैं तुमसे बात करना चाहती हूँ..क्या तुम अपना संगीत थोड़ी देर के लिए रोक दोगे “… या वो कभी यह नहीं कहती “बेटा मैं जा रही हूँ”… या “बेटा मैं अबसे तुम्हारे संगीत में विध्न नहीं डालूंगी “… वो कभी भी अपने बच्चे से कुछ भी एक्स्पेक्ट नहीं करती है क्योंकि वो उससे शर्तरहित प्यार करती है .अगर हम किसी से भी शर्तहीन प्यार करते हैं तो वो एक दिन हमारे प्यार को जरूर समझेगा. यह शर्त रहित प्यार माँ और बेटे में, पिता और पुत्र में, दोस्तों में, गुरु शिष्य में, डॉक्टर मरीज में, बॉस और सुबोर्दिनाते में, भाई भाई में,पति पत्नी में और गलफ्रेंड बॉय फ्रेंड में हो सकता है.अगर हमारे प्यार में कोई शर्त नहीं है तो हम बिना कहे ही सब कुछ कह देते हैं आर पूर्ण हो जाते हैं.
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मिट जाए दिल-ओ-दिमाग से ,बना वो निशान नहीं है
जख्मों के डर से मोह्हबत नहीं करता, वो इंसान नहीं है