गूगल और याहू एकाउंट्स कि सुरक्षा

आखिर क्या चल रहा है अमरीका में। आखिर कौन है ये स्नोडेन। क्या हमारा गूगल और याहू का डाटा सुरक्षित है ? क्या हमारे बैंक एकाउंट्स कि जानकारी सुरक्षित है ?

स्नोडेन जो कि “सी आई ऐ” और “एन एस ऐ” में काम करता था क्या कह रहा है ? वो किस यन्त्र कि बात कर रहा है जो “एन एस ए” खुफया जासूसी करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है।

कहा जा रहा है कि गूगल और याहू के डाटा सेंटर्स की जासूसी कि जा रही है। और ये जासूसी “एन एस ए” के द्वारा की जा रही है। क़ानूनी इंटरनेट निगरानी प्रोग्राम “प्रिज्म” के अंडर ये काम चल रहा है। और मस्कुलर इंटरनेट निगरानी प्रोग्राम के अंडर भी ये काम चल रहा है। और इस काम में “यु के” कि एक टॉप इंटेलिजेंस और सिक्यूरिटी कंपनी “जी सी एच क्यू” कि मदद ली जा रही है।

प्रिज्म और मस्कुलर जैसे और जासूसी प्रोग्राम्स भी 2013 मध्य में सामने आए थे। फॉरेन नेशनल्स के डाटा के रिसर्च के लिए एक कंप्यूटर सिस्टम “एन एस ए” ने बनाया जिसका नाम “की स्कोर” था। फाइबर ऑप्टिक केबल्स जिनसे इंटरनेट का बैकबोन तैयार किया जाता है , उनको लीक करने का सिस्टम “टेम्पोरा” बनाया गया, जिससे इंटरनेट उजेर्स का डेटा लीक किया जा सकता है।

हम उम्मीद करते हैं अमरीकन इंटरनेट कम्पनियां अपने उजेर्स कि प्राइवेसी का ध्यान रखेंगी। धन्यवाद

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The Truth of Social Media Websites

आज का युवा अपना सबसे अधिक वक़्त कहाँ व्यतीत कर रहा है ? तो इसका जवाब है सोशल मीडिया वेब साइट्स पर. और ऐसा करते वक़्त हम पूरी तरह से अपने दुःख दर्द और ख़ुशी के भावों को टेक्स्ट, इमाज़ेस और वीडीओस के जरिये डाटाबेस में डाल रहे हैं. हमे क्या अच्छा लगता है और क्या नहीं , इसका भी एक रिकॉर्ड बनता जा रहा है. हमे कौन पसंद है और कौन नहीं, ये भी डाटाबेस में रिकॉर्ड किया जा रहा है. इस तरह का डाटाबेस तैयार होने से हमे किसी भी व्यक्ति या ऑब्जेक्ट के बारे में जानकारी लेना आसान हो जाएगा. हम अगर एक सोशल मीडिया वेबसाइट चला रहे हैं और अगर उसका इस्तेमाल ये 70 प्रतिशत दुनिया रोज कर रही है तो हम अडवांस रिपोर्टिंग के जरिये ये जान लेंगे की कौन सा व्यक्ति क्या सोचता है, कैसे सोचता है, कहाँ रहता है, कहाँ काम करता है, उसके परिवार के लोग कौन हैं, उसके दोस्त कौन हैं, और वो क्या करने वाला है. ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो हम अपनी कुंडली खुद बनाने में लगे हुए हैं. इस डाटाबेस का सबसे बड़ा फायदा ये होगा की मार्केटिंग कंपनीयां सोशल मीडिया डाटाबेस की मदद से व्यक्ति की जरुरत को समझ पाएंगी और उनसे पूछे बगेर ही उनकी जरुरत की चीजें उनको बेच पाएंगी.

केवल इतना ही नहीं, अगर इस डाटाबेस का इस्तेमाल सामान बेचने के लिए किया जा सकता है , तो इसका इस्तेमाल रीसर्च करने के लिए भी हो सकता है. अगर हम लोगों की जरूरतों को समझ पाएंगे तो हम उनकी मुश्किलों को भी समझ पाएंगे. और इस तरह जब उनके जीवन में आ रही परेशानिओं को देख पाएंगे तो उसका उपाए करना आसान हो जाएगा.

बस चिंता इसी बात की है ये डाटाबेस किसी गलत हाथ में ना चला जाए. अगर ऐसा होगा तो कई तरह की परेशानिआँ भी आ सकती हैं. इधर सुरक्षा कंपनिया इसका इस्तेमाल जुर्म कम  करने के लिए कर रही हैं, तो उधर असामाजिक तत्व इसका इसका इस्तेमाल एक दुसरे को नुक्सान पहुंचाने के लिए कर सकते हैं. बस जरुरत है तो इस डाटाबेस को सुरक्षित रखने की.

आज गूगल और फेसबुक दुनिया के सबसे बड़े डाटाबेस हैं जो लोगों के बारे में हर जानकारी रखते हैं और बड़ी बड़ी सुरक्षा एजेनसिया इसका इस्तेमाल करके जुर्म और बिमारीआं समाप्त कर रहे हैं.

बस यही दुआ करता हूँ की इस डाटाबेस का इस्तेमाल दुनिया में शान्ति लाने के लिए हो. धन्यवाद.

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