डेड सौ साल पहले का भारतीय एडुकेशन सिस्टम

मैक्स म्युलर ने भारतीय शिक्षा पर रिसर्च की है। उसने देखा और बताया की भारतीय एजुकेशन दुनिआ में सबसे बेस्ट है। बंगाल प्रांत जिसमे बंगाल बिहार ओरिसा और अन्य भारतीय शहर भी आते थे, में अस्सी हज़ार से ज्यादा गुरुकुल पिछले हज़ार साल से चल रहे है और भारतीय बच्चे वहाँ शिक्षित हो रहे हैं। लुडलो ने सोलह सत्रह साल की रिसर्च के बाद बताया की भारत में कोई ऐसा गाँव नहीं है जहां गुरुकुल ना हो। नार्थ भारत में दोसो विद्यार्थिओं पर एक गुरुकुल होता है। लिटनेर भी अट्ठारह सौ बाइस में यही कहता है। बीस करोड़ की जनसंख्या में सात लाख बत्तीस हज़ार गाँव में सात लाख बत्तीस हज़ार गुरुकुल हैं जबकि अट्ठारह सौ अड़सठ में अंग्रेजो के पास कोई स्कूल नहीं है। दो हज़ार सात में जहां भारत पचास प्रतिष्ठत शिक्षित है वहीँ उनीसवीं सदी में भारत सत्तानवे प्रतिशत शिक्षित था। गुरुकुल राजा की कृपा की बजाए जनता के दान से चलते हैं। सूर्योदय से सूर्यास्त तक अठारह विषय पढ़ाए जाते हैं।

शिक्षा देने के लिए संस्कृत भाषा का इस्तेमाल किया जाता है और वेदों द्वारा बच्चों को संस्कारी बनाया जाता है। बच्चा गुरुकुल में पांच साल पांच महीने की उम्र से चौदाह वर्ष की उम्र तक गुरकुल से मुफ्त शिक्षा लेता है, फिर चाहे वो गरीब हो या अमीर हो। पंगेरकास्ट कहता है बच्चे धातु , नक्षत्र , खगोल, भवन विज्ञान और धातुकरण की शिक्षा लेते हैं। दो हज़ार नौ में जहां पूरे भारत में तेरह हज़ार कॉलेज और चार सौ पचास विस्व विद्यालय हैं वहीँ सिर्फ अट्ठारह सौ बाइस में केवल मद्रास प्रांत में ग्यारह हज़ार पांच सौ पचत्तर कॉलेज और एक सौ नौ विश्व विद्यालय हैं। अट्ठारह सौ बाइस में चैदह हज़ार से ज्यादा कॉलेज हैं। इंग्लैंड और यूरोप में शिक्षा केवल राजा के बच्चों के लिए होती थी। अरस्तु और सुकरात ने भी यही कहा है।

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